Tuesday, September 10, 2013

बात हिन्दू मुस्लिम की नहीं, कतिथ धरम-निरपेक्षता की है|

Facebook पर एक मित्र की टिप्पणी और उसको मेरा जबाब| कृपया इसे अवश्य पूरा पढ़ें |

"Indian.muslim.media की एक टिप्पणी 
इस देश के मुसलमानों ने हमेशा भारत कीसमय-समय पर तन मन और धन से सेवा की हैं.. इस देश के मुसलमानों ने हर मुसीबत में भारत की इज्जत बचाने के लिए तन मन और धन से सेवा की हैं जब बात लड़ने की भाई तो वीर अब्दुल हमीद के रूप में पाकिस्तान को मूंह तोड़ जवाब दिया जब बात धन की आयी तो मेमन अब्दुल हबीब युसूफ मरफानी ने जैसो ने 1 करोड़ जिनकी आज कीमत 100 करोड़ से भी अधिक हैं की राशि नेता जी सुभाष चन्द्र बोसको आजाद हिन्द फौज के गठन के लिए दिए...जब बात भारत को परमाणु शक्ति बनाने की आयी तो ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने ये बीड़ा उठाया....जब बात खेल की आयी तो सलीम दुरानी, नवाब पटौदी, अजहरुद्दीन, युसूफ पठान, इरफ़ान पठान, मुनाफ पटेल, शानिया मिर्ज़ा जैसे मुस्लिमो ने भारत का नाम खेल में रोशनकिया....जब बात भारतीय संस्कृति को विदेशो में फ़ैलाने की आइ तो उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, उस्ताद जाकिर हुसैन, उस्ताद अमज़द अली खान, शाह रुख खान, आमिर खान ने जिम्मा लिया........ताजमहल, लाल किला, क़ुतुब मीनार जैसी भव्य भव्य इमारते देकर भारत का सीना दुनिया के सामने चौड़ा कर दिया......कितनीउपलब्धिया गिनाओ मुसलमानों की फिर भी आज कुछ सांप्रदायिक  संगठन और लोग ये बात फैलाते हैं की मुसलमानों ने इस देश कोदिया क्या हैं........अरे मुसलमानों ने तो इतना दिया लेकिन मिला क्या शक की नज़र, गद्दार की गालिया, आतंकवादी का ठप्पा, दंगो में मौते, शिक्षा और नौकरिया में भेदभाव... कुछ तो शर्म करोमुसलमानो पर उंगलिया उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांको....... मुसलमानों ने ये देश चुन कर लिया !


Dinesh Agarwal का जबाब
(ब्लॉग http://wikileaksinblog.blogpsot.com पर इस जबाब में कुछ और अंश भी जोड़े गए हैं|)

बात हिन्दू मुस्लिम की नहीं, कतिथ धरम-निरपेक्षता की है| जिसके कारण एक धर्म के लोगों को सपोर्ट किया जाता है और दुसरे धर्म के लोगों का अपमान| आपकी इस लिस्ट में, मैं कुछ नाम और जोड़ सकता हूँ| जैसे अहमद हुसैन मोहमद हुसैन, तलत अजीज, कमल हसन, ए आर रहमान, मिर्ज़ा ग़ालिब आदि| ए. आर. रहमान का ख्वाजा मेरे ख्वाजा, कुन फाया कुन, और पिया हाजी अली, क्या इन्हें किसी धर्म से जोड़ा जा सकता है? यह तो परमात्मा की प्रार्थना का जरिया, सूफी तरीका| धर्म के अंधे उन्माद से ऊपर उठ चुके महान कलाकार, कमल हसन (कमल हसन के लिए कहना चाहिए कि यह सबसे बड़े धार्मिक या फिर सबसे बड़े अ+धार्मिक हैं, कमल हसन तो स्तम्भ हैं|)  उनके बारे में क्या कुछ कहा जा सकता है? या कहने की कोई जरुरत है? ...और मिर्ज़ा ग़ालिब, इनके लिए किन्ही शब्दों की आवश्कता नहीं है| यह वो लोग हैं जिन्हें शब्दों में या के फिर किसी धर्म विशेष से नहीं जोड़ सकते, न ही धर्म से बांध सकते| मानव का धर्म तो इन्ही लोगों में समाया है| सब में वो ही समाया, सब है उसमे|

  ....पर इस में शाहरुख खान और अजहरुद्दीन के नामों पर मुझे आपत्ति है| ...गर आपको पता हो कि आपकी लिस्ट में गिनाई गयी कई इमारतों की नीव मंदिरों को लुट कर और तोड़ कर उनके उपर रखी गयी है| धर्म सभी का एक है| संप्रदाय आदमीओं को, समाज तोड़ता है| कलाकार तो भगवान का एक जरिया है| बात कर्मों की है धर्म की नहीं, लेकिन इतिहास से सीखने की जरुरत तो पड़ती ही है| किसी भी धर्म के कारण अच्छे काम को बुरा नहीं कहा जा सकता| मानसिक परवर्ती को हम अनदेखा नहीं कर सकते| ऐसे लोग भी हैं जो भारत को अपना देश नहीं मानते |
     अपने-आपको धर्म-निरपेक्ष दिखाने के लिए जिस तरह से नेता एक धर्म का खुल कर समर्थन करते हैं और दुसरे धर्म(ओं) पर आपत्ति करते हैं, ठीक वैसा ही कुछ न्यूज़ चैनल भी करते दिखते हैं| १९८४ के सिख दंगे हों, किश्तवाड़ के दंगे या फिर उ. प्र. के हाल के दंगे| हर बार कुछ न्यूज़ चैनल पूरी तरह से पक्षपात रबैया अपनाते हैं| बार-बार गुजरात दंगों की तो बात करते हैं| बाकी दंगों की पूरी तस्वीर और समाचार नहीं दिखाते, क्यों? देश के तिरंगे का क्या धर्म है हमारे देश के तिरंगे को किश्तवाड़ में जलाया गया? सुदर्शन न्यूज़ को छोड़ कर किसी न्यूज़ चैनल ने यह तस्वीरें नहीं दिखाई, क्यों? वहां मुसलमान शामिल थे इसलिए? कुछ न्यूज़ चैनल्स तो अपनी भूल सुधार कर लेते हैं| लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि न्यूज़ चैनल्स का धर्म-निरपेक्षता का पैमाना केवल तब काम करता है जब मुसलमानों से सबंधित खबरें हों| उनका पक्ष लेने में सभी न्यूज़ चैनल को बहस का एक मुद्दा मिल जाता है जो इनकी TRP बढ़ाता है| सभी न्यूज़ चैनलओं को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ होने का अपना फ़र्ज़ पूरी ईमानदारी से निभाना चाहिए| भले ही हिन्दू दोषी हों या फिर मुस्लिम एक समान न्यूज़ दिखानी चाहिए | कई बार NDTV India की प्रस्तुति देख कर मुझे ऐसा लगता है जैसे कि NDTV India, UPA सरकार के पक्ष में ही अपने समाचार या प्रोग्राम दिखा रहा है| कई बार NDTV India समाचारों को इस तरह से प्रस्तुत करता है कि आधा सच ही सामने आता है| जिस चैनल के पत्रकार रविश जैसे होंगे, तो उम्मीद भी क्या की जा सकती है? जब राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद का फैसला आया था, उस समय उस मामले पर, टीवी पर रिपोर्ट प्रस्तुत करते समय रविश के चेहरे की निराशा देखने लायक थी| ऐसा लगता था जैसे रविश का कोई खजाना लूट लिया गया हो| कई बार तो रविश, चर्चा के लिए बुलाये गए लोगों को इतना ज्यादा टोकते हैं कि वह लोग अपनी बात पूरी नहीं कर पाते, या फिर सही तरह से बात नहीं रख पाते| कुछ न्यूज़ चैनल्स द्वारा सिखों, हिन्दुओं, जैनों और कई सम्प्रदायों को हमेशा हिन्दुओं से अलग-अलग दिखाने की कोशिश  की जाती रही है| रही सही कसर हमारे देश के कानून ने कर दी है| क्या जनसँख्या की समस्या केवल हिन्दुओं के लिए ही है? यदि नहीं तो मुसलमानों के लिए परिवार नियोजन को लागू क्यों नहीं किया जाता? हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल, और मुसलमानों के लिए नहीं, क्यों? स्कूलओं में मुसलमानों को अल्पसंख्यक वजीफ़ा, क्यों ? मुसलमानों के लिए हज यात्रा के लिए सब्सिडी और हिन्दुओं की किस धार्मिक यात्रा के लिए सब्सिडी मिलती है? यह दोगुलापन नहीं तो क्या है? भारत सरकार और भारत के न्यूज़ चैनल्स को समान दर्ष्टि से सभी से व्यवहार करना चाहिए| जब धर्म के नाम पर भेद-भाव किया जायेगा तो दुसरे धर्म(ओं) में असंतोष तो उभरेगा ही| इस असंतोष को रोकने के लिए सभी धर्मों के लिए बराबर कानून और सरकारी योजनाओं का निर्माण करना चाहिए| सरकारी योजनाओं का सभी को बराबर लाभ मिलना ही चाहिए|
     रही सही कसर हमारे देश के कानून ने कर दी है| क्या जनसँख्या की समस्या केवल हिन्दुओं के लिए ही है? यदि नहीं तो मुसलमानों के लिए परिवार नियोजन को लागू क्यों नहीं किया जाता? हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल, और मुसलमानों के लिए नहीं, क्यों? स्कूलओं में मुसलमानों को अल्पसंख्यक वजीफ़ा, क्यों ? मुसलमानों के लिए हज यात्रा के लिए सब्सिडी और हिन्दुओं की किस धार्मिक यात्रा के लिए सब्सिडी मिलती है? यह दोगुलापन नहीं तो क्या है? भारत सरकार और भारत के न्यूज़ चैनल्स को समान दर्ष्टि से सभी से व्यवहार करना चाहिए| जब धर्म के नाम पर भेद-भाव किया जायेगा तो दुसरे धर्म(ओं) में असंतोष तो उभरेगा ही| इस असंतोष को रोकने के लिए सभी धर्मों के लिए बराबर कानून और सरकारी योजनाओं का निर्माण करना चाहिए| सरकारी योजनाओं का सभी को बराबर लाभ मिलना ही चाहिए|

Tuesday, July 30, 2013

क्या मुझे एक हिन्दू होने पर शर्म महसूस करनी चाहिए?

Should I feel shame on to be a Hindu???    21-12-2010  की  post  का हिंदी रूपांतरण-

क्या मुझे एक हिन्दू होने पर शर्म महसूस करनी चाहिए?

     जब मैं पैदा हुआ था, मैं क्या था?  मैं  कहाँ पैदा हूँगा, किस धर्म में पैदा  हूँगा, मैं  नहीं जानता ? अब मैं एक "हिन्दू परिवार 'में पैदा हुआ,  इसलिए मैं एक हिंदू हूँ| अगर मैं एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ था, तो मैं एक मुस्लिम बन जाता|  मैं भारत में पैदा हुआ तो "जय हिंद", अगर  मैं तो पाकिस्तान में पैदा होता तो "पाकिस्तान जिंदाबाद"|  इस सब में मेरा योगदान क्या है? इसमें मेरी गुणवत्ता या महिमा क्या है? मेरे जन्म या किसी के जन्म पर शर्म की करने के लिए कुछ भी नहीं है,  या गर्व महसूस करने के लिए भी कुछ नहीं है ?
     ....पर अब केवल एक हिंदू परिवार में पैदा होने की वजह से  कुछ लोग मुझे अपमानित कर रहे हैं | यह सिर्फ एक फूल का अपमान करने जैसा है| जैसे सिर्फ दो फूलों की तुलना करके एक फूल का अपमान करना गलत है|  दो फूलों के बीच तुलना कैसे संभव है ? सभी अपने स्तर पर अच्छे और अद्वितीय हैं| गुलाब का फूल गुलाब है और कमल,कमल ही है, दोनों फूलों  में कुछ भी गलत नहीं है|  कैसे एक गुलाब का फूल कमल हो सकता है?  या एक कमल एक गुलाब हो सकता है? 
     किसी भी धर्म को आतंकवादी कहना या एक धर्म को आतंकवादी से अधिक हानिकारक नहीं कहा जा सकता है| यह भारत में, यह लोकतंत्र की सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण है| एक धर्म का पक्ष लेने के लिए अन्य धर्मों का विरोध करना पक्षपात है| एक विशेष धर्म को प्रोत्साहित करने के लिए और अन्य धर्म का अपमान करना, यह सरकार का और सरकार के सहयोगी दलों का एक पूर्व नियोजित एजेंडा हो सकता है|
      फूट डालो और राज करो - यह अंग्रेजों की नीति थी | हमें समझना चाहिए कि कौन आतंकवादी हैं जो आतंक फैला रहें हैं वो आतंकवादियों हैं | आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता| कुछ लोग केवल लोगों को संबोधित करके और उनकी भावनाओं के साथ खेल कर उन्हें आतंकवादी बना रहे हैं |   
      श्री राहुल गांधी क्या कर रहे हैं ?  श्री राहुल गांधी भी लोगों को संबोधित कर रहे हैं| (यह लेख 21 Dec. 2010 को लिखे गए लेख का हिंदी रूपान्तर है उस दौरन श्री राहुल गाँधी और अन्य नेताओं द्वारा हिन्दुओं को आतंकवादी कहने का दौर चल रहा था| इसी सन्दर्भ में यह बात कही गयी है | )      
     भविष्य में ऐसा हो भी सकता है कि  हिंदू लोग कुछ राजनीतिक नेताओं की वजह से भारत में आतंक और असुरक्षा महसूस करें| उस समय हिंन्दू  कहाँ जायेंगे? 
      कहानी तो अब शुरू हुई है | मेरे दोस्त मुसलमान भी हैं | मैं  उनके साथ काम करता हूँ और उनके साथ भोजन भी करता हूँ | यह देश मुझे सिर्फ एक बगीचे की ही तरह लग रहा है, उस फूल का यह नाम क्यों है, और दुसरे का यह नाम क्यों है? मुझे नहीं पता है और मैं पता भी नहीं करना चाहता | लेकिन क्या इस सब के बाद, मुझे एक बगीचे में एक फूल होने में  शर्म की बात महसूस करनी चाहिए? किसी भी देश की सरकार को सभी के धर्म  के सभी लोगों को एक साथ लाने की कोशिश करनी चाहिए |
    ....लेकिन भारत सरकार के कुछ लोग गलत तरफ उनकी शक्ति का उपयोग कर रहे हैं | वे लोगों को क्यों विभाजित करना चाहते हैं ? आज के नेता भारत और भारतीय संविधान की नींव कमजोर कर रहे हैं | सभी लोगों को हिरणकश्यप और परह्लाद की कहानी का पता है | हर कोई जानता है कि हिरणकश्यप  कैसे समाप्त हो गया था |       
     क्योंकि श्री राहुल गांधी श्री फिरोज गांधी के पोते हैं, इसलिए हम मुसलमानों के लिए उनके प्यार को समझ सकते हैं| यह लग रहा है कि श्री राहुल गांधी उनके व्यक्तित्व, उनके धर्म और उसकी पहचान को स्वीकार करने से हिचकते हैं, पर इस सब के बारे में की स्वीकृति में शर्म की क्या बात है?
     उनकी पार्टी या उनके सहयोगी दलों के कुछ अन्य नेता एक ही रास्ते पर चल रहे हैं | सभी लोग एक ही तरह से कर रहे हैं और इस सब से बड़ा राजनीतिक फायदा होने की बहुत उम्मीद में हैं |  क्या यह जरुरी है कि "मुसलमानों के लिए अपने प्यार को दिखाने के लिए, मुसलमानों के अलावा" और अन्य धर्म के लोगों का अपमान किया जाये ? अगर एक देश का एक राजा ही भेदभाव कर रहा हो तो, लोग कहाँ जायेंगे?  राजा तो किसी को भी उपहार या किसी को  जेल भेजने के लिए आदेश कर सकता है | सब राजा के मूड पर निर्भर करता है| श्री राहुल गांधी के पास भी किसी भी राजा से ज्यादा शक्ति है|      
     भारत में श्री राजीव गांधी और कई अन्य लोग कई आतंकवादी हमलों में मारे गए , कई  परिवार नष्ट हो गए थे | उनके परिवार के बाकी सदस्यों को न्याय पाने के लिए यहाँ और वहाँ घूमना पड़ा, लेकिन आज तक क्या हुआ? दूसरी ओर कुछ ही लोगों को  V.V.I.P. रहन-सहन और उपचार, V.V.I.P. सुरक्षा, क्यों मिल रही है? केवल इसलिए क्योंकि वे लोग राजनीतिक परिवारों से संबंध रखते हैं?      
     मेरे विचार के अनुसार हिंदू या मुसलमान केवल एक सामाजिक पहचान के अलावा कुछ नहीं हैं | बस फूल की ही तरह एक गुलाब का फूल और दूसरा कमल का फूल हो सकता है | एक फूल का कमल या गुलाब होना क्या गलत है? दोनों बराबर है और अपनी जगह पर बिल्कुल सही हैं | जो लोग भी किसी के धर्म के बारे में अपमान जनक बात कर रहे हैं के सब हिंसक हैं|  किसी के भी धर्म का अपमान करना, यह भारतीय संविधान का अपमान है| हर किसी को किसी भी धर्म को स्वीकार करने और अपने तरीके से भगवान की  प्रार्थना  करने का मौलिक अधिकार है | यह भारतीय संविधान की नींव है, यह एक मानवाधिकार भी है|

Tuesday, December 21, 2010

Should I feel shame on to be a Hindu???

When I was born, what I was? Where I will be born, in which religion? Now I born in a “Hindu family”, so I am a Hindu. If I did born in a Muslim’s family, then I became a Muslim. I born in India so “Jai Hind”, if I born in Pakistan then “Pakistan Zindabad”. What is my contribution in all of this? What is my Excellency or my quality? In my birth or anyone’s birth, is there anything to shame on it, or to feel the pride? Some peoples are insulting me now, only due to born in a Hindu family. This is just like as just insulting a flower of Rose or other one by comparing them. How it’s possible to compare between two flowers? All are good and unique at their level. Rose is Rose and Lotus is Lotus, nothing is wrong with their ends. How Rose could become a Lotus or Lotus becomes the Rose?
It’s not being justified to say terrorist to any religion or say more harmful than a terrorist to a religion. In India, this is an example of misuse of power of democracy. It’s partiality to take a side of religion and contradiction to other religion. This may be a preplanned agenda of government and his collation bodies, to insult one particular religion and encourage the other religion. This was Englishmen’s policy - Divide and rule.
We should understand that, who is terrorists? Who spread the terror, are terrorists. There is no religion of terrorist’s. Some peoples making the terrorist only addressing them and playing with their emotions. What is Mr. Rahul Gandhi doing? Mr. Rahul Gandhi is also addressing the peoples. It may be happen in future the Hindu will feel terror in India, due to political leaders. Where will Hindus go that time? Story is beginning now.
My friends are Muslims also. I take food with them and doing business with them. I feel just like a garden, I don’t feel, why that flower is getting its name, I don’t know and I don’t want to know. But after all of this, should I feel shame to be a flower in a garden?
The government of any country should try to bring together all the peoples of country of any religion. But Indian government is using their power in wrong side. Why they want do divide the peoples? Today’s politicians are making weak the foundation of India and Indian constitution. All peoples know the story of Hirnyakashyap and the Pahelad, everyone knows that how the Hirnyakashyap was ended?
Because of Mr. Rahul Gandhi is grandson of Mr. Firoz Gandhi, so we can be understand, his love for Muslims. It looks, like Mr. Rahul Gandhi hesitates to accept his personality, his religion and his identity. What is shame in acceptance of his all about? Some other leaders of his party or collation parties are also on same path. All are the people of the same sort and all are in very hope of getting great political benefit by this. Is it necessary to insult the other than Muslims, to show their love to Muslims? If a king of a country is doing the distinction, where will the peoples go? The king can order to prison anyone or gifted anyone, depends on his mood. Mr. Rahul Gandhi has more power than any king.
Mr. Rajiv Gandhi and many other peoples died in many terrorist attacks in India. Families were destroyed, rest of their family members have walking here and there to get justice, but what happened, till date? Other hand some people get V.V.I.P. treatment, V.V.I.P. security, why? Only because of them belongs to political families.
According to my view Hindu or Muslim is only a social identification nothing else. Just like the flowers one may be rose and other may be lotus. What is wrong to being a lotus or rose? Both are equal and exactly correct at there places. All of talking and insulting about someone’s religion are violent. It is insult of Indian constitution to insult someone on the bases of religion. It’s fundamental right to accept any religion and pray the God in their manner. It is foundation of Indian constitution; it is also a human right.